मशीन से दो टुकड़ों में कटा हाथ, एम्स के डॉक्टरों ने फिर से जोड़ा
टीएचटी रिपोर्टर पटना। डॉक्टरों को इस दुनिया में भगवान क्यों कहा जाता है यह एक बार फिर से एम्स पटना में साबित हो गया। कुट्टी काटने में मशीन से हाथ के पूरी तरह कटकर दो टुकड़े हो जाने के बाद भी डॉक्टरों ने कई घंटों के ऑपरेशन के बाद कटे हुए हाथ को पीड़ित के शरीर में फिर से जोड़ दिया और उसमें जान भी आ गई। भोजपुर निवासी दस वर्षीय बच्ची खुषी कुमारी का कुट्टी काटने के मषीन से हाथ के कलायी के पास से ही पूरे तरह से कट गया। यानि हाथ दो टुकड़ों में हो गया। हाथ इतनी बुरी तरह से कटा था कि वो कई जगहों पर मुड़ भी गया था। समय रहते एम्स पटना पहुंचाया जहां प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा सिंह ने पांच घंटे से ज्यादा मेहनत कर माइक्रो सर्जरी के माध्यम से हाथ को जोड़ा गया। प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. वीणा सिंह ने कहा कि दस वर्षीय बच्ची है खुशी कुमारी जो भोजपुर के रहने वाली है। दो दिन पूर्व देर रात एम्स में इसके परिजनों ने लेकर पहुंचे थे। कलायी से हाथ पूरे तरह से अलग-अलग था। एम्स पहुंचने में इनलोगों ने आठ घंटा लगा दिया, इससे पहले कई अस्पतालों का इनलोगों ने चक्कर लगाया। वहीं जैसे ही एम्स पहुंचे आनन-फानन में मैं अपने प्लास्टिक सर्जरी के टीम जिसमें डॉ. अनसारूल, इसके साथ ही एनेसथिसिया की टीम व ऑर्थो के भी टीम लगे। 90 प्रतिशत माइक्रो सर्जरी के माध्यम से काम हुआ। दो यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया। हाथ के नशों को को माइक्रो सर्जरी के माध्यम से जोड़ा गया, इसके साथ ही हड्डी को ज्वांइड ऑर्थों के डॉक्टरों ने किया। काफी मेहनत हमलोगों ने किया। लगातार पांच से छह घंटे तक सर्जरी चला। हमलोगों इसे चुनौती के तौर पर लिया और सफलतापूर्वक हाथ को जोड़ दिया। बच्ची स्वास्थ्य है। हाथ में मुबमेंट भी है।
समय रहते अस्पताल लाया गया था जो ऐसे मामलों में गोल्डन ऑवर माना जाता है। समय जितना ज्यादा देर होता है उससे चुनौतियां उतनी ही बढ़ जाती है। ऑपरेशन के दौरान हमने देखा कि मशीन में रगड़ खाने की वजह से हाथ की हड्डियां, मांशपेशियां और नसें अलग-अलग जगह खिंच गई थीं. ऐसे में सर्जरी मुश्किल हो जाती है लेकिन हमने कटे हुए हाथ के कुछ हिस्से को काट कर बाहर किया और उसके बाद इसे खुशी के शरीर से जोड़ दिया गया। इस तरह का अगर हाथ, अंगूली कट अलग हो जाता है तो अस्पताल समय पर पहुंचना और कटे अंग को सही तरीके से अस्पताल लाना बड़ी बात होती है। लोग जैसे तैसे लेकर आ जाते हैं इस वजह से कटा अंग खराब हो जाने के वजह से जुट नहीं पता है, सबसे पहले यह करना चाहिए कि जैसे ही कट कर अलग हाथ हो जाता है तो, फॉरन उस पार्ट को एक साफ प्लास्टि में रखे, इसके बाद कोई बरतन या दूसरे प्लास्टि में बर्फ रखे इसके बाद जिस प्लास्टि में अंग रखे हुए हैं बंद कर उसे उस बर्फ के बीच में रखे। कट कर अलग हुए अंग का सम्पर्क न पानी से हो न रखे हुए वर्फ से। साथ ही पानी से धोना भी नहीं चाहिए। वहीं जहां से कटा है उसे स्टम्प बोलते है, ज्यादा ब्लीडिंग न हो इसके लिए वहां पर साफ गमछा मुंह पर ही बांधे, या बैंडज कर ले, और हाथ को सिने इतना उंचा कर लें, ताकि ब्लीडिंग कम हो जाये। वहीं तीसरी यह जानकारी ले कि प्लास्टिक सर्जरी जिस अस्पताल में होती है वहां पहुंचे, या बड़े अस्पताल में। एम्स ऐसा मामला महीना में लगभग 10 से 12 आ जाता है, उसमें कुछ लोगों की गलती के वजह से जुड़ने में परेशानी ज्यादा होती है, या न जुट पाती है। जैसे कि हाथ या अंगूली कटने पर अलग हुए पार्ट को पानी में रख लाते है, या फिर जहां से कटता है उस पार्ट के उपर ब्लीडिंग रोकने को लोग रस्सी तो गमछा बांध देते हैं, जिससे उसके आगे का पार्ट सड़ जाता है। सबसे बड़ी बात जागरूकता है। तीन मुख्य चीज का ध्यान रखें, कटे पार्ट को सही तरीके से रख अस्पताल लेकर आये, अस्पताल की जानकारी होती चाहिए, सही समय पर सही अस्पताल पहुंचने की जरूरत है, छोटे-मोटे क्लिनिक के चक्कर में समय न बर्बाद करें। ब्लीडिंग को रोकने को जहां से कटा है उस जगह को सफ कपड़े या बैंडेज कर लाये।