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इनहेलर से नियंत्रित अस्थमा के रोगियों में कोविड-19 से संबंधित मौत का खतरा नहीं होता : डॉ. सौरभ करमाकर


टीएचटी रिपोर्टर हेल्थ पटना।  विश्व अस्थमा दिवस, दुनिया भर में मनाया जाता है। विश्व अस्थमा दिवस के उपलक्ष पर डॉ. सौरभ करमाकर सह आचार्य, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना ने कई पहल किये। डॉ. सौरभ करमाकर को रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, द्वारा आयोजित किये गए “नेशनल अस्थमा अपडेट” में अतिथि व्याख्यान लेने के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने “अस्थमा के ग्लोबल पहल 2021” के दिशानिर्देशों में हाल ही में हुए परिवर्तन के बारे में बताया। उन्होंने यह बताया की सादा सालबुटामॉल का इनहेलर लेते रहने से अस्थमा का गंभीर दौरा होने की संभावना, रोगी में हो सकती। अतः कॉम्बिनेशन में लिए गए इन्हेलड कॉर्टिकोस्टेरॉइड का अस्थमा के सटीक एवं उचित इलाज में मुख्य भूमिका होती है। कोविद -19 महामारी का अस्थमा की बीमारी और रोगियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।


अस्थमा के रोगी जो इनहेलर पर अच्छी तरह से नियंत्रित रहते हैं उनमे  कोविड 19 से संक्रमित होने का कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं रहता है। उन्होंने यह भी बताया की अस्थमा का रोग, लोगों में कोविड 19 के संक्रमण में वृद्धि नहीं करता। अस्थमा के वह मरीज जो  अस्थमा के  लक्षणों  को काबू  करने के लिए  आदतन कॉर्टिकोस्टेरॉइड जैसे की डेक्सोना का सेवन करते हैं, उनमे कोविद 19 से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। अच्छी तरह से इनहेलर से नियंत्रित अस्थमा, के रोगियों में कोविड-19 से संबंधित मौत का खतरा नहीं होता है। अस्थमा के रोगियों को अपने अस्थमा नियंत्रण और फेफड़ों के स्वास्थ्य की निगरानी पीक फ्लो मीटरों जैसे की  आमतौर पर उपलब्ध ब्रीथ ओ मीटर से घर पर ही करनी चाहिए। एक शोध में यह पाया गया कि जो कोविड-19 के रोगी, जो इन्हेलड कॉर्टिकोस्टेरॉइड का प्रयोग कर रहे थे उनमें कोविड-19 के अन्य रोगियों के तुलना में मृत्यु दर कम थी। डॉ. सौरभ करमाकर ने यह भी बताया की पल्मोनरी मेडिसिन मेडिसिन ओपीडी, एम्स , पटना में कक्ष संख्या 330 में अस्थमा के रोगियों को पीक फ्लो मीटर से अपने अस्थमा निगरानी और नियंत्रण एवं उचित इनहेलर तकनीक का प्रशिक्षण कराया जाता है।