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नौ वर्षीय बच्ची की कलाई से अलग हो चुके हाथ को फिर से जोड़ा

फुलवारीशरीफ। चारा काटने वाली मशीन नौ वर्षीय बच्ची के कलाई से हाथ अलग हो चुका था, लेकिन पटना एम्स के डाॅक्टरों ने सात घंटे के कड़ी मेहनत करते हुए सर्जरी के बाद हाथ को फिर से जोड़ दिये। जिसके बाद बच्ची के परिवार वालों के चेहरे खुषी से चहक उठा। बच्ची के परिवार वाले से चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं। इस तरह की दुर्घटना को डॉक्टरी भाषा में इसे एवल्जन इंजरी कहा जाता है। पटना एम्स के प्लास्टिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डाॅ. वीणा सिंह ने कहा कि 22 जनवरी को अपराह्न साढ़े तीन बजे ग्राम कापन, थाना बिहुतिपुर, जिला समस्तीपुर में हुई एक दुर्घटना में अभिलाषा नामक नौ वर्षीय बच्ची ने अपनी कलाई से अपना कीमती दाहिना हाथ खो दिया।



यह घटना तब हुई जब वह खेल रही थी और अनजाने में चारा काटने वाली मशीन पर गिर गई और उसका दाहिना हाथ कटकर अलग हो गया। बच्ची चिल्लाई और उसकी मां घटनास्थल पर पहुंची और खून से लथपथ हालत को देखकर अन्य लोग इकट्ठा हो गए। वे बच्चे के हाथ में कपड़े को लपेटकर बिहुतिपुर स्थित पास के एक निजी अस्पताल में ले गए। वहां से मरीज को अनुमंडल अस्पताल, दलसिंगराय स्थानांतरण कर दिया गया, जहां खून रोक कर कटे हिस्से को बर्फ में सुरक्षित रखा गया और मरीज को पटना स्थानांतरण कर दिया गया। पटना पहुंचने पर मरीज सबसे पहले एक बड़े निजी अस्पताल गई, जहां से उसे एम्स पटना स्थानांतरण कर दिया गया। बच्ची 8: 30 बजे एम्स पटना पहुंची और प्लास्टिक सर्जरी टीम ने पुनर्रोपण करने का फैसला लिया। एनेस्थीसिया टीम ने तुरंत मरीज को शल्य चिकित्सा कक्ष में लिया और ऑर्थो टीम ने सबसे पहले हड्डी को जोड़कर और प्लास्टिक सर्जरी टीम ने पहली रक्त वाहिका को जोड़कर रात लगभग 10ः00 बजे कटे हुए हिस्से में रक्त का प्रवाह को बहाल कर दिया। दो धमनी, दो शिराओं, दो तंत्रिकाओं, फ्लेक्सर पहलू पर 9 टेंडन और एक्सटेंसर पहलू पर 8 टेंडन को जोड़ने की सर्जरी अगले 7 घंटे तक चली। 7 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद हमारे नेतृत्व में डॉ. अंसारुल, डॉ. श्रेयोसी, डॉ. वरुण और नर्सिंग स्टाफ कमल पटेल के साथ प्लास्टिक सर्जरी टीम हाथ की हर संरचना को फिर से जोड़ने में सक्षम रही। 

मरीज को आईसीयू में रक्त चढ़ाने और नियमित ड्रेसिंग के साथ निगरानी की गई और आखिरकार 14वें दिन बिना किसी जटिलता के छुट्टी दे दी गई। हाथ में हरकत और अनुभूति वापस आने में कुछ महीने लगेंगे। इस अनुकरणीय सफल सर्जरी पर कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके. पाल ने एम्स पटना में प्लास्टिक सर्जरी और एनेस्थीसिया की पूरी टीम को बधाई दी।

विकलांग होने से बची बच्ची: अभिलाषा के परिवार वालों ने कहा कि मेरी बच्ची विकलांग होने से बच गयी और उसे उसका हाथ फिर मिल गया, अब अहसास करता हूं कि क्यों लोग डाॅक्टरों को दूसरा भगवान कहते हैं, मैंने नहीं सोचा था कि मेरे बच्ची का हाथ कभी ठीक हो पायेगा।