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निजी विद्यालय व कोचिंग संस्थान पलायन की ओर


बेचाना शुरू कर दिये बेंच, टेबल व अन्य सामान
मकान मालिक और बैंक से परेशान हैं छोटे निजी विद्यालय व कोचिंग संस्थान के संचालक

टीएचटी रिपोर्टर पटना। कोरोना काल के वजह हर किसी पर पहाड़ टूट चुका है। कारोबारियांें से लेकर शिक्षण संस्थान तक। इसका प्रभाव खासकर छोटे निजी स्कूल व कोचिंग संस्थान पर पड़ा है। इनके संचालकों का इस वजह से मानसिक तनाव में रह रहे हैं। एक तरफ मकान मालिक तो दूसरी ओर बैंक अपने लाॅन वसूलने के लिए दबाव बना रही है। वहीं दूसरी ओर पिछले 14 माह से स्कूल व कोचिंग संस्थान बंद रहने के वजह से आर्थिक स्थिति भी खराब हो चुकी है। नियमिता और मानवता को देखते मकान मालिक को कोरोना काल के वजह से 70 प्रतिशत रेंट का माफ करनी चाहिए। लेकिन कोरोना के साथ ही मकान मालिक का भी कहर स्कूल व छोटे कोचिंग संस्थान के संचालक पर जारी है। एक पैसे छोड़ने को तैयार नहीं है। इस मामले में प्रशासन भी आगे आकर किसी तरह का कोई पहल नहीं कर रही है। राजधानी के पटना समेत आसपास के प्रखंड में छोटे निजी स्कूल व कोचिंग संचालक की आर्थिक तंगी बढ़ गयी है। स्कूल व कोचिंग संचालक बेंच, टेबल व अन्य सामान आॅने पाॅने दाम पर बेचना शुरू कर दिया है। मकान मालिक द्वारा रंेट का दबाव व बैंक से लिए गये लाॅन को लेकर हर महीने दबाव से मानिकस तनाव में रहने लगे हैं। बेउर स्थित हुल्लुकपुर एनी बेसेंट इंटरनेशनल स्कूल के संचालक दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि अभी के परिस्थिति में छोटे स्तर के निजी विद्यालय पलायन करने की स्थिति में है। विगत 14 महीने से विद्यालय और कोचिंग संस्थान बंद है इस परिस्थिति में आय का कोई श्रोत नहीं है और विद्यालय व कोचिंग के कई शिक्षक व स्टाफ का घर विद्यालय के आय से ही चल रहा है। बच्चों के अभिभावक विद्यालय में पढ़ाई ना होने के कारण मासिक शुल्क नहीं दे रहे, जिस कारण से विद्यालय व कोचिंग के संचालक को कर्ज लेकर अपने घर-परिवार व विद्यालय के कर्मचारियों के घर-परिवार को चलाना पड़ रहा है। विद्यालय के संचालक को मजबूरन बेंच डेस्क तक बेचना पड़ रहा है। मेरे विद्यालय का करीब 1400000 विद्यालय का रेंट बकाया हो गया है। कर्ज देने वाले व बैंक वालों का अलग ही दबाव हम पर है। इस परिस्थिति में हम मानसिक रूप से कमजोर पड़ रहे हैं। इन सब के कारण हमे ना चाहते हुए किसी गलत मार्ग की ओर जाना पड़ सकता है। विद्यालय बंद करने से कोरोनावायरस का प्रकोप कम हो जायेगा, बाजार में पहले ही की तरह भीड़भाड़ हो रही है उसे देखने वाला कोई नहीं है। सरकार भी इन सब पर कोई ध्यान नहीं दे रही है, वह सिर्फ अपना तिजोरी भरने में लगी है। क्या कोरोनावायरस स्कूल में ही है? शिक्षा का स्तर हमारे सरकार ने बहुत हद तक गिरा दिया, बच्चे बिना परीक्षा दिए हुए पास किए जा रहे। क्या यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है? अब हमारे जैसे छोटे स्तर के निजी विद्यालय व कोचिंग संचालक पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है इन सब से ना केवल एक व्यक्ति बर्बाद होगा बल्कि इस विद्यालय में काम कर रहे सभी कर्मचारी एवं उनके परिवार और इस विद्यालय में पढ़ रहे सभी बच्चों का भविष्य भी बर्बाद हो रहा है और अंधकार की ओर जा रहा है। इन सब पर हमारे सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। हमारे जैसे हजारांे विद्यालय का पता नही क्या हाल है? एक अंतिम उपाय यही बच गया है। स्थिति हमलोगों के साथ आत्म हत्या का बन चुका है। बैंक को एक माह भी लौन का भुगतान नहीं किया जा रहा है तो उसका ब्याज बढ़ा दिया जा रहा है, बैंक से दबाव पर दबाव है। पिछले बार बैंक के तरफ से सरकार के पहल पर कुछ राहत थी। वहीं मकान मालिक रेंट के लिए जलील कर रहे हैं। बड़े स्कूल संचालक को कोई परेषानी हैं, लेकिन छोटे निजी स्कूल संचालक व कोचिंग संचालक के उपर पहाड़ टूट गया है। इसलिए सरकार इस मामले पर पहल करें, अन्यथा  छोटे निजी स्कूल संचालक व कोचिंग संचालक के पास आत्म हत्या के अलावे कोई रास्ता नहीं रहेगा।