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अमीर के चुनाव पर विरोध शुरू : अवैध तरीके से इमारत-ए-शरिया के नये अमीर का हो रहा चुनाव : मौलाना अब्दुल माजिद

टीएचटी रिपोर्टर पटना। इमारत-ए-शरिया के आठवें अमीर-ए-शरियत के चुनाव से पहले ही बगावत की शुरू हो चुका है। हजरत मौलाना वली रहमानी की निधन के बाद से अमीर-ए-शरीयत का पद रिक्त हो गया है। वर्तमान में अमीर-ए-शरीयत का पूरा कार्यभाल नयाब अमीर-ए-शरीयत संभाल रहे है। हालांकि चुनाव की प्रक्रिया चल रही हैै। अमीर-ए-शरीयत के चुनाव को लेकर कई बैठकें भी इमारत-ए-शरिया में हो चुकी है। वहीं अंतिम बैठक आठ अगस्त को होने वाला है। वहीं आठ अगस्त के बैठक में ही तय होने वाला है कि आठवें अमीर-ए-शरीयत कौन होंगे। लेकिन इससे पहले ही विरोध व विद्रोह की आवाज शुरू हो चुकी है। बगावत दिखने लगा है। वहीं इसी को लेकर शांति संदेश के नाजिम मौलाना अब्दुल माजिद कासमी शुक्रवार को प्रेस वार्ता भी करने का एलान किया है। वहीं इस दौरान मौलाना अब्दलु माजिद कासमी ने कहा कि नये अमीर का चुनाव बिल्कुल अवैध तरीके से की जा रही है। अमीर बनाने के लिए जो बैठक इमारत-ए-शरिया में हो चुकी है वह गैरदस्तूरी गैर कानूनी है। इमारत-ए-शरिया का जो कानून और दस्तूर बना हुआ है, उसके खिलाफ है और एक ऐसे आदमी को अमीर बनाया जा रहा है जो खूद इंजीनियर है मौलाना भी नहीं है। जबकि की मौलाना का होना जरूरी है, नयाब अमीर जो हैं वह सब गलत कर रहे हैं। यह बिल्कुल इमारत-ए-शरिया के लिए संवैधानिक तौर पर भी अवैध है, और शर्मनाम बात है। इमारत-ए-षरिया फुलवारीशरीफ देश के मुसलमानों की एक धार्मिक और शरीयत संस्था है, जो इस्लामी कानूनों के क्रियान्वयन को बढ़ावा देती है। वहीं इस तरह से करना वेहद गलत है। मैं इसकी पूरी खुलासा शुक्रवार को तीन बजे करूंगा।


इमारत-ए-शरिया क्या है : इमारत-ए-शरिया का मुख्यालय बिहार की राजधानी पटना जिला के फुलवारीशरीफ में है। इस संस्था का मुसलमानों के बीच काफी प्रभाव है। यह संस्था मुसलमानों को मजहबी मामलों के साथ ही घरेलू मसलों में भी मार्गदर्शन करती है। संस्था की ओर से कई तरह के सामाजिक कार्य भी बड़े पैमाने पर करती हैं। इमारत-ए-शरिया मुसलमानों को कलमे की बुनियाद पर और शरीयत के तहत संगठित और अनुशासित करने के उद्देश्य से काम कर रहा है। यह संगठन आज से नहीं बल्कि आजादी के पहले साल 1921 से ही कार्य कर रहा है। यह संगठन बिहार, झारखंड, ओडिशा के मुस्लिमों को शरिया के तहत आने वाले मुद्दों को समझाने के लिए बनाया गया था। यह संगठन पैगंबर मोहम्मद की सुन्नत को अपना पथ-प्रदर्शक मानता है। इसका उद्देश्य समाज में ऐसा माहौल कायम करना है, जिससे लोगों का धर्म की ओर केंद्रित हो और मुसलमानों को पारिवारिक हकों व सामाजिक कर्तव्यों की जानकारी देना और धर्म का रास्ता अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। सामाजिक कार्य को बढ़ावा देना। हर वैसे लोग जो मुख्य धारा से दूर हैं उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना। संगठन के माध्यम से आधुनिक शिक्षा दिनी व दुनियावी से वंचित रहने वाले लोगों को शिक्षा से जोड़ना और मरीजों के इलाज के लिए हॉस्पिटल की व्यवस्था भी की है। साथ ही यह संगठन बाढ़-भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के वक्त भी लोगों की बढ़चढ़ की मदद करता है। हर तरह के आपदा में लोगों के मदद के लिए आगे रहती है। इमारत-ए-शरिया का अस्पताल भी है जहां प्रत्येक महीने हजारों लोगों का इलाज किया जाता है। हजारों के तादात में लोगों का प्रत्येक माह मदद शादी हो या किसी तरह के हादसे में भी करती है। इसके साथ ही षिक्षण संस्थान भी अब खोल रही है। हमेसा समाज के लोगों के लिए सराहनीय कार्य करती है। यहां के मदरसे से प्रत्येक वर्ष सैकड़ों लोग अच्छे उलमा बनकर निकलते हैं। इमारत-ए-शरिया हमेसा इंसानित, शांति सौहर्द व भाईचारगी को बढ़ावा देने के लिए काम और पहल करती है। इसकी तीन प्रमुख कमेटियां हैं, जिसमें मजलिस-ए अरबाब-ए-हल्लोअक्द, मजलिस-ए-शूरा, मजलिस-ए-आमला शामिल हैं।  यह संगठन धर्म को संगठित करने के प्रयास करने के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काम कर रहा है।