विरोध : नायब अमीर के मनमानी से कई टुकड़ों में बंट सकता है इमारत-ए-शरिया : मौलाना अब्दुल माजिद
टीएचटी रिपोर्टर पटना। इमारत-ए-शरिया में नये अमीर-ए-शरीयत के चुनाव में मनमानी के आरोप नायब अमीर-ए-शरीयत पर कई संस्थाओं व एदारों के लोगों ने लगाना शुरू कर दिया गया है। हालांकि अब देखना है कि आठ अगस्त को इमारत-ए-शरिया में नये अमीर-ए-शरीयत का चुनाव में किस तरह का गुल खिलता है। जिस तरह से विरोधाभाष की आवाज उठ रही है। इससे कायास लग रहा है कि आठ अगस्त को भारी हो हल्ला की भी संभावना है। शांती सेंदेश केंद्र फुलवारीशरीफ के जेनरल सेक्रेटी मौलाना अब्दुल माजिद कासमी ने प्रेस वार्ता का आयोजन कर इमारत-ए-शरिया के नायब अमीर-ए-शरीयत पर कई तरह के आरोप लगाये। साथ ही मौलाना अब्दुल माजिद कासमी ने कहा कि इमारत-ए-शरिया के नायब अमीर-ए-शरीयत जो गुल खिलाना चाह रहे है वह पटना के धरती पर नहीं खिलेगी। अगर मनमानी करना नहीं रोके तो इसका अंजाम भी काफी भयावह होने की संभावना है।
इमारत-ए-शरिया के दस्तुर में यह है कि इमारत का अमीर वह होगा जो पूरे तरह से अलिमे दिन होगा। जिनमें एखलास हो, मसायल पर उसकी बड़ी पकड़ हो, गहरी नजर हो, मुल्क की राजनीति से भी भलीभांती हो। जिस इंजीनियर साहब को अमीर-ए-शरियत बनाने की बात चला रहे हैं नायब अमीर मौलाना शमशाद रहमानी वह इंजीनियर साहब इस मुल्क में रहे ही नहीं। अपनी जिंदगी संभालने के बाद अमेरिका में रहे, तो हिन्दुस्तान के राजनीति से उनको क्या तालुख है। मसले मसाइल से उनको क्या तालुख, खूद वह आलीम भी नहीं है। जिन्हें अमीर-ए-शरीयत बनाना चाह रहे हैं, वह मरहुम मौलाना वली रहमानी के पुत्र इंजीनियर फैसल वली रहमानी है। यह जिस क्षेत्र के हैं उसमें वह बड़े आलीम है। इंजीनियर में बड़ी महारात और अनुभव होगी। यह अच्छी बात है। लेकिन किसी डॉक्टर, इंजीनियर या प्रोफेसर को अमीर-ए-शरीयत बना देंगे, यह उचित और मुनासिब नहीं है। पूरे मूल्क में यह तमाम मुस्लमानों की आवाज है कि गैर कानूनी तरीके से और गैर दस्तुरी तरीके से अमीर बनाने की प्रयास की जा रही है। इन सभी के जिम्मेदार मौलाना शमशाद रहमानी जो नायब अमीर-ए-षरीयत बने हुए हैं। इस बात पर सख्ती से नोटिस नहीं लिया गया तो इमारत-ए-शरियत कई भाग में बंट सकती है। यह डर है लोगों को कि इमारत-ए-शरिया टुकड़े न हो जाये, जिस तरह से मनमानी कर रहे हैं। आठ अगस्त को जो समय है बैठक की वह मजलिसे सूरा मजलिसे आमली में यह बैठक की बात तय नहीं हुई है, यह नायब अमीर के अपने तरफ से है। इसलिए मजलिसे सूरा से हमारा अपील है कि नायब अमीर के किये हुए तमाम फेसले को रद्द करें। वहीं इसका एलान किया जाये कि नायब अमीर जो-जो फेसले किये हैं इसका किसी पर एतवार नहीं किया जाये। अगर मनमानी करेंगे नायब तो फिर वह अमनी इमारत वह बना ले वहीं, पटना के धरती पर ऐसा करेंगे तो इसका भयानक अंजाम हो सकता है। इसलिए मैं नायब अमीर मौलाना शमशाद रहमानी से भी अपील करूंगा कि आप उम्मत को टूटने, फितना फसाद से बचने बचाने की आप भी कोषिष करें।
मौलाना अब्दुल माजिद कासमी ने सख्त लहजे में यह भी कहा कि इमारत-ए-षरिया के नायब अमीर मनमानी रही तो इमारत-ए-शरिया कई टुकड़ों में बंट जायेगी। इमारत-ए-शरिया किसी के पुष्तैनी सम्पत्ति नहीं है। यह आवाम का एदारा है। इस दौरान यह भी कहा कि इमारत-ए-शरिया इस्लामी एदारा है। इस्लामी एदारा में जितने भी काम होते हैं उसके लिए कानून है दस्तूर मौजूद है। दस्तूर और कानून के एतवार से काम हो तो बेहतर है। नये अमीर-ए-शरीयत के चुनाव के लिए इमारत-ए-शरिया के पास कानून मौजूद है। उस कानून को उस दस्तूर को छोड़कर अपनी तरफ से मनमाना करेंगे कोई भी आदमी तो सवालात तो खड़े होंगे। नायब अमीर जो बनाये गये है मौलाना शमशाद रहमानी, खूद उनके नायब अमीर बनने पर बहुत सारे सवाल है। मरहुम मौलाना वली रहमानी साहब ने जिस पत्र पर उनको नायब अमीर बनाया गया है, वह पत्र गायब है। किसी को दिखाया नहीं जा रहा है। उसपर हस्ताक्षर किसका है वह भी शक के दायरे में है। अगर सही हस्ताक्षर है मरहुम मौलाना वली रहमानी का लिखा हुआ है तो वह आवाम को पेश करे, नहीं तो हमलोगों के अनुसार यह जाली तरीके से नयाब अमीर बनाये गये हैं, दूसरी ओर बात यह है कि वह नायब अमीर के ओहदे पर हैं तो आपको यह अधिकार किसने दिया है कि आप चुनाव के लिए 151 लोग तय करें, कि 151 लोग उम्मीदवार की तारीफ करेंगे तो वह माना जायेगा, अगर 151 की संख्या नहीं होगी तो वह उम्मीदवार नहीं माना जायेगा। इस बात की इजाजत किसने दी, क्या यह इस्लामी कानून है क्या सूरा में इसको पास किया है, फिर नायब ने इसको कैसे तय किये, अगर चुनाव का प्रस्ताव लाया तो इसे आप सूरा के सामने रखते। सूरा के लोग इसे पास करते तब आप चुनाव कराते। बेगर किसी के मसबरे से ही अपना नेजाम बनाया। साथ ही जितने सेंटर बनाये हैं, उन तमाम सेंटर्स में सबसे अफसोसनाक बात यह है कि पटना जो पूरे बिहार की राजधानी है, खूद पटना का सेंटर पटना में नहीं रख बाढ़ में रखा गया। सासाराम, भभुआ और पटना के लोग सफर करके बाढ़ जायेंगे। यह पूरे तरह से आंख मिचौली है। इसलिए नयाब अमीर को अपने पद से इस्तीफा देनी चाहिए। अगर नायब अमीर इस्तीफा नहीं देंगे तो मजलिसे आमला, मजलिसे सुरा से हमारा अपील है कि जल्द से जल्द इस पर सख्ती से नोटिस लें और नायब अमीर को उनके पद से हटाये। इस वजह से इमारत-ए-शरिया की पूरी दुनिया में बदनामी हो रही है, इस बदनामी से बचाने के लिए हमलोग आगे आये हैं। इमारत-ए-शरिया मेरी, आपकी या किसी भी सख्त की जाति प्रोपट्री नहीं है कि लोगों की मनमानी चलेगी। इसलिए मजलिसे सूरा से हमलोग अपील करते हैं कि इस मामले में सख्त नोटिस ले। जल्द से नायब अमीर को हटाये और किसी दूसरे इमारत के ही लोगों को उसकी जिम्मेदारी दें, जब तक की अमीर-ए-शरीयत की चुनाव न हो जाये। जब भी अमीर-ए-शरीयत की चुनाव हो इंतेखाब हो तो कानूनी तारिके से किया जाये। शरीयत के तहत किया जाये, जो इमारत-ए-शरिया का दस्तुर है उसके मुताबिक किया जाये।