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वर्दी और रमजान का एक साथ फर्ज अदा कर रहे हैं ये पुलिसवाले



टीएचटी रिपोर्टर पटना। माह-ए-रमजान के महीने में सबसे बड़ा नौकरी, कामकाजी को चैलेंज होता है। एक साथ कई फ़र्ज़ निभाना वह भी पूरी शिद्दत के साथ कोई मामूली बात नहीं होता है। रमजान के पाक महीने में अल्लाह की इबादत में मशगूल हर घर के लोग हैं। कामकाजी लोग पूरी शिद्दत के साथ नौकरी व रमजान दोनों का फर्ज निभा रहे हैं। तमाम ऐसे विभाग में प्राइवेट हो या सरकारी हैं जहां तैनात लोग पूरे दिन भूख-प्यास रह कर रोजा रखते हैं। लेकिन पुलिस वालों की जिम्मेदारी कुछ अलग है। इन्‍हें दफ्तर की ड्यूटी के साथ दिनभर सड़कों पर दौडऩा पड़ता है। तपती गर्मी में जाम में फंसे वाहनों को निकलवाते वक्त जरूर भूख प्यास लगती है, पर ये सब्र के साथ हंसते-हंसते दोनों जिम्मेदारी ईमानदारीपूर्वक निभाते हैं। अभी कोरोना काल में पुलिस बालों का और जिम्मेदारी बढ़ी हुई है। अपराधियों को पकडऩा हो या बाहर दबिश देने के लिए निकलना, बीमार लोगों का मदद भी करना, भूखे लोगों के घर तक खाने का इंतजाम कराना इन कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद पुलिस विभाग के बहुत ऐसे अफसर और सिपाही है जो रोजा से मुंह नहीं मोड़ते। दरअसल, यह इबादत का ही असर है कि रमजान के महीने में ड्यूटी करते हुए भी कभी दिक्कत महसूस नहीं करते। भले कुछ पल का आराम मिले या न मिले।

हर फ़र्ज़ ईमानदारीपूर्वक निभाते
हुए साथ में रोजा भी रखता हूं 
हर समाज के लोगों के लिए अपने अच्छे छबि और सबको एक साथ लेकर चलने के वजह से अजीज बने फुलवारीशरीफ थानेदार रफिकुर रहमान ने कहा की पुलिस विभाग की नौकरी करते हुए 12  वर्षों गुजर चुके हैं। ड्यूटी के दौरान लंबी दौड़भाग भी करनी पड़ी फिर भी रोजा रखा। हमारे साथ कई परेशानियों आई।  इसके बावजूद मैंने अपना पहला फ़र्ज़ पुलिस पदाधिकारी होने की ईमानदारीपूर्वक निभाया। थानेदारी के दौरान मैने हर सामाज को एक साथ लेकर चला। सबके साथ ईमानदारी से न्याय किया। आज हजारों लोगों का दुआ प्यार मेरे साथ है। रोजा इंसान को ईमानदार बनाता है, बुराइयों से दूर रखता है। हर लोगों के साथ एक जैसा बर्ताव करने को सिखाता है। अगर आपमें शिद्दत और ईमानदारी होगी तो हर कठिन परिस्थितियों से आज आसानी से निपटारा कर सकते है।

थानेदारी के साथ हमेसा माहे रमजान
में रोजा रखने का प्रयास किया
बुद्धा कॉलोनी के थानाध्यक्ष कैंसर आलम इससे पहले कई थाने में थानेदार रह चुके है पुलिस विभाग में कई जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 94 बैच के है। ईमानदार और अपने अच्छे छबि के वजह पहचान के मोहताज नहीं है। शांत सिंह राजपूत मामले की जांच को मुम्बई भी इन्हें खास जिम्मेदारी के साथ भेजा गया था। अच्छी भूमिका रही इनकी। अपने पढ़ाई के दौरान ही पुलिस में भर्ती होने वाले कैंसर आलम 1994 से पुलिस विभाग में सेवा दे रहे हैं। बिहार पुलिस में सबसे तेज तर्रार थानेदार माने जाते है। इन्होंने काम से कभी समझौता नहीं किया। जिस इलाके के थानेदारी किये चर्चा में बने रहे। तमाम केसों में उलझने के बावजूद उन्होंने रोजा हमेशा रखा। इनका कहना है कि रोजा रखना सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। रोज ईमानदार बनाता है। भाईचारगी, अमन का पैगाम देता है। रोज हर धर्मों में किसी न किसी रूप में है।


मुहब्बत, भाईचारगी अमन का संदेश देता है रमजान पुलिस विभाग के सबसे ईमानदार और पुलिसिंग मामले में अलग पहचान रखने वाले डीएसपी इम्तियात अहमद ने कहा कि अन्य विभागों में नौकरी करने वाले रोजेदार रात को तरावीह सुनने के बाद आराम कर लेते हैं, लेकिन पुलिस की नौकरी में रात-आधी रात कब उठकर निकलना पड़े, कुछ पता नहीं। पुलिस के जॉब में तजुरवा बहुत काम आता है। मैंने हर काम को फर्ज समझ करता हु। रोजा मैं बचपन से ही रखता हूं। मुझे याद नहीं शायद कभी छोड़ा हु ड्यूटी के दौरान भी। अभी कोरोना महामारी से बचने का है। आम लोग इबादत भी करें लेकिन हुकूमत के गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुये। अमन और भाईचारगी, मुहब्बत का संदेश देने बाला यह पर्व है। इसलिए हर लोग इस संदेश को बरकरार रखे। एक दूसरे से मुहब्बत के साथ पेश आये। असल यहीं रमजान के मकसद है।

रमजान में अच्छे कामों  के लिए प्रशिक्षण का महीना है-  2009 बैच के दरोगा। वर्तमान में पटना स्पेसल ब्रांच में पोस्टेड शबनम आरा पति हामिद अंसारी सीआरपीएफ में सेवा दे रहे। शबनम आरा ने कहा कि मैं एक साथ  परिवारी जिम्मेदारी निर्वाह करना, नौकरी को ईमानदारी से करना, घर जा कर इफ्तार, रात का खाना और सुबह में सेहरी की तैयारी। यह एक तरह का औरतों के लिए चैलेंज होता है। मैने हर चैलेंज को बचपन से स्वीकार की हु। सफल हुई हु। रमजान एक ऐसा समय है जो अंदर से मजबूत लोगों का बना देता है। एक साथ कई जिम्मेदारी निभाने का अनुभव प्रदान होता है। यह एक साथ कई कामों को करने व अच्छे कार्यों प्रशिक्षण देने का महीना है।